MP Board Class 8th Social Science Solutions Chapter 11 आर्थिक विकास
MP Board Class 8th Social Science Chapter 11 अभ्यास प्रश्न
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प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्प चुनकर लिखिए –
(1) भारत में कार्यशील जनसंख्या का लगभग कितने प्रतिशत कृषि कार्य में संलग्न है ?
(क) 50 प्रतिशत
(ख) 60 प्रतिशत
(ग) 70 प्रतिशत
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(ख) 60 प्रतिशत(2) भारत के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान –
(क) 26 प्रतिशत
(ख) 36 प्रतिशत
(ग) 42 प्रतिशत
(घ) 100 प्रतिशत
उत्तर:
(क) 26 प्रतिशत(3) औद्योगिक विकास से –
(क) कृषि पर निर्भरता कम होती है
(ख) जीवन स्तर में सुधार आता है
(ग) उपर्युक्त दोनों
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(ग) उपर्युक्त दोनों।प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
(1) भारत, नेपाल, चीन, पाकिस्तान ……….. देश हैं तथा जापान, सिंगापुर, ब्रिटेन, अमेरिका …………. देश हैं।
(2) औद्योगिक विकास देश व नागरिकों के लिए …………. लाता है।
(3) लोहा-इस्पात का आधुनिक कारखाना …………. में लगाया गया।
(4) अर्थव्यवस्था के मंद विकास से …………. बढ़ती है।
उत्तर:
- विकासशील, विकसित
- समृद्धि
- जमशेदपुर (झारखण्ड)
- बेरोजगारी
MP Board Class 8th Social Science Chapter 11 अति लघु उत्तरीय प्रश्नप्रश्न 3.
(1) निर्धनता किसे कहते हैं ?
उत्तर:
निर्धनता वह दशा है, जिसमें किसी व्यक्ति को अपने जीवन-यापन के लिए भोजन, वस्त्र और मकान जैसी न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति करने में कठिनाई होती है।
(2) बेरोजगारी किस स्थिति को कहते हैं ?
उत्तर:
बेरोजगारी वह स्थिति है जिसमें कोई व्यक्ति शारीरिक और मानसिक रूप से कार्य करने का इच्छुक होने पर भी कार्य पाने में असमर्थ रहता है। .
(3) खनिज आधारित उद्योग कौन-कौनसे हैं ?
उत्तर:
लोहा और इस्पात, सीमेण्ट तथा रसायन उद्योग खनिज आधारित उद्योग हैं।
(4) कुटीर उद्योगों के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रमुख रूप से खिलौने बनाना, लिफाफे बनाना, पापड़ बनाना, बड़ी बनाना, चटाई बनाना, झाड़ बनाना, मसाले तैयार करना, बीड़ी बनाना और कपड़े बुनना आदि कार्य कुटीर उद्योगों में शामिल हैं।MP Board Class 8th Social Science Chapter 11 लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 4.
(1) प्राचीन काल में हमारे देश की अर्थव्यवस्था कैसी थी?
उत्तर:
प्राचीनकाल में भारतीय अर्थव्यवस्था समृद्ध एवं विकसित थी। भारत आर्थिक क्षेत्र में आत्मनिर्भर था। ईस्ट इण्डिया कम्पनी शुरू के वर्षों में बहुमूल्य धातुओं के बदले भारत में बने कपड़े, मसाले व कुटीर उत्पाद खरीदती थी।(2) लघु उद्योग का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
लघु उद्योग में कम पूँजी लगती है। कम मजदूरों द्वारा ही कार्य करा लिया जाता है। इनसे उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलती है तथा बेरोजगारों को रोजगार प्राप्त हो जाता है।(3) आत्मनिर्वाह कृषि क्या है ?
उत्तर:
देश के बहुसंख्यक किसान छोटी और बिखरी जोतों व परम्परागत औजारों का प्रयोग करते हैं। कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण उन्नत बीजों, उर्वरकों एवं कीटनाशकों का प्रयोग नहीं कर पाते, अतः इससे उत्पादन भी कम होता है। इनका उत्पादन खाद्यान्न के रूप में उनके परिवार के उपभोग में प्रयुक्त हो जाता है। इस प्रकार की कृषि को आत्मनिर्वाह कृषि कहते हैं।(4) ग्रामीण रोजगार गारन्टी’ योजना क्या है ?
उत्तर:
केन्द्र सरकार द्वारा ‘ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना-2005’ विधेयक पारित किया गया है। इस विधेयक में ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक परिवार के एक वयस्क व्यक्ति को 100 दिवसों का रोजगार उसके निवास के निकट (पाँच किलोमीटर के दायरे में) दिये जाने हेतु प्रावधान किया गया है।
MP Board Class 8th Social Science Chapter 11 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 5.
(1) आर्थिक विकास में कृषि किस प्रकार सहायक है ?
उत्तर:
कृषि भारत की अर्थव्यवस्था का आधार है –
तथा इसका भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 26 प्रतिशत का योगदान है। भारतीय कृषि खाद्यान्न उत्पादन के साथ-साथ उद्योगों के लिए कच्चा माल भी उपलब्ध कराती है। कृषि के अन्तर्गत खेती-बाड़ी, पशुपालन, वानिकी, मत्स्य पालन आदि भी शामिल हैं।
मानसून पर कृषि की निर्भरता अभी भी बनी हुई है। प्राकृतिक विशेषताओं; जैसे-भूमि की प्रकृति, जलवायु तथा सिंचाई की सुविधाओं के कारण भारतीय किसान विभिन्न प्रकार की कृषि करते हैं।भारत के प्रत्येक क्षेत्र में कृषि की उत्पादकता भी समान नहीं रही है। हमारे देश की बड़ी जनसंख्या कृषि कार्य करती है।
इससे उन्हें रोजगार, खाद्यान्न और आय प्राप्त होती है। उद्योगों को कच्चा माल कृषि से प्राप्त होता है। फसलों में किसानों की आय बढ़ने से उनका जीवन स्तर ऊँचा होता है। खाद्यान्नों में आत्मनिर्भरता के साथ-साथ कृषि उत्पादों का निर्यात करके विदेशी मुद्रा प्राप्त करके राष्ट्रीय आय में वृद्धि की जा सकती है।(2) खनिज आधारित उद्योगों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
खनिज अधारित उद्योगों का वर्णन अग्र प्रकार है –
ऐसे उद्योग जो कच्चे माल के लिए खनिजों पर निर्भर हैं, जैसे-लोहा और इस्पात, सीमेण्ट तथा रसायन उद्योग खनिज आधारित उद्योग हैं।
भारत में लोहा व इस्पात का पहला कारखाना सन् 1830 में पोटॉनोवा (तमिलनाडु) में लगाया गया। लोहा व इस्पात बनाने का आधुनिक कारखाना 1907 में जमशेदपुर (झारखण्ड) में लगाया गया। इसमें लौह-अयस्क, कोकिंग कोयला, चूना पत्थर और मैंगनीज अयस्क का उपयोग किया जाता है।
एल्युमीनियम एवं ताँबा प्रगलन भी भारत के बड़े उद्योग हैं। इसके अतिरिक्त रासायनिक उद्योग जिसके अन्तर्गत उर्वरक, कृत्रिम रेशे, कृत्रिम रबड़, प्लास्टिक की वस्तुएँ, रंग-रोगन तथा औषधियाँ तैयार की जाती हैं। परिवहन उपकरण; जैसे – रेल के इंजन, डिब्बे, मोटर वाहन (बस, ट्रक, कार, मोटर साइकिल आदि) वायुयान एवं पोत बनाने सम्बन्धी बड़े एवं भारी उद्योग तथा इलेक्ट्रॉनिक उद्योग स्थापित किये गये हैं।
(3) मुख्य आर्थिक समस्याओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आज हमारे सामने जो मुख्य आर्थिक समस्याएँ खड़ी हैं उनका वर्णन इस प्रकार है –
1. जनसंख्या वृद्धि – भारत के आर्थिक विकास में तेजी से बढ़ती जनसंख्या एक बड़ी समस्या है। स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद केवल इसी समस्या के कारण गरीबी, बेरोजगारी जैसी समस्याएँ आज तक सुलझ नहीं सकी। वर्ष 1951 में हमारे देश की कुल जनसंख्या 36 करोड़ थी, वहीं 2001 में जनसंख्या 102 करोड़ पहुँच गई।
2. निर्धनता – निर्धनता एक ऐसी अवस्था है, जिसमें किसी व्यक्ति को अपने जीवन-यापन के लिए भोजन, वस्त्र, मकान जैसी न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति करने में कठिनाई होती है। निर्धनता का दुष्परिणाम व्यक्तिगत और परिवार के स्वास्थ्य पर भी होता है। जिससे व्यक्ति की उत्पादन क्षमता घट • जाती है, अतः निर्धनता निरन्तर बनी रहती है। .
3. बेरोजगारी – हमारे देश में बेरोजगारी का प्रथम कारण है अर्थव्यवस्था का मंद विकास। बेरोजगारी का दूसरा कारण है जनसंख्या में अत्यधिक वृद्धि। इसके परिणामस्वरूप 15 से 59 आयु वर्ग के सर्वाधिक व्यक्ति रोजगार की प्रतीक्षा में हैं। विगत दशकों में जनसंख्या जिस गति से बढ़ी है उस गति से रोजगार के अवसर नहीं बढ़े।
4. मूल्य वृद्धि – निरन्तर और अनियन्त्रित मूल्यवृद्धि सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था को संकट में डालती है, निर्धन और अधिक निर्धन हो जाते हैं। मूल्यवृद्धि आर्थिक असमानता एवं निर्धनता को बढ़ाती है।5. भ्रष्टाचार – भ्रष्टाचार से आर्थिक असमानता बढ़ती है और गरीब अधिक हो जाते हैं। यह उन्नति की जड़ों को कुतरकर खोखला कर देता है। सरकार ने अनेक नियम और कानून बनाकर भ्रष्टाचार रोकने के प्रयास किये हैं।